ईश्वर ने जब इस्लाम को समस्त मानव जाति के लिए मार्गदर्शन बनाकर अपने अंतिम ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल) के माध्यम से कुरआन के रूप में भेजा, तो उसने मुसलमानों को इस सत्य से अवगत भी कराया कि तुमसे पूर्व के लोगों पर भी रोजे़ अनिवार्य किए गए थे।
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